वायु प्रदूषण से मानव की श्वसन प्रणाली पर असर। योग ही हैं रामबाण इलाज
वायु प्रदूषण क्या है? एक विश्लेषणात्मक दृष्टि
वायु प्रदूषण का तात्पर्य वायुमंडल में अवांछित, विषाक्त एवं असंतुलित तत्त्वों की उपस्थिति से है, जो प्राकृतिक अथवा मानवजनित दोनों प्रकार के हो सकते हैं। इन प्रदूषकों में मुख्यतः निम्न सम्मिलित हैं—
• पार्टिकुलेट मैटर (PM2.5, PM10)
• नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx)
• सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂)
• कार्बन मोनोऑक्साइड (CO)
• ओज़ोन (O₃)
• वाष्पशील कार्बनिक यौगिक (VOCs)
इन सूक्ष्म कणों का आकार इतना लघु होता है कि यह श्वसन तंत्र की प्राकृतिक रक्षा-व्यवस्था को भेदकर शरीर की कोमल ऊतकों में प्रवेश कर जाते हैं। परिणामस्वरूप अनेक प्रकार की व्याधियाँ और विकार उत्पन्न होते हैं।
मानव शरीर पर वायु प्रदूषण के दुष्प्रभाव
1. श्वसन तंत्र पर प्रतिकूल प्रभाव
प्रदूषित वायु सीधे नाक, श्वासनली और फेफड़ों में प्रवेश कर श्लेष्म झिल्ली (Mucous Membrane) में सूजन उत्पन्न करती है। श्वास-कष्ट (Breathlessness),दमा (Asthma) की तीव्रता बढ़ना,एलर्जीजनित प्रतिक्रिया,ब्रोंकाइटिस, ब्रोंकिओलाइटिस,फेफड़ों की वायु-कोषिकाओं (Alveoli) में क्षरण। विशेषतः PM2.5 कण फेफड़ों की गहन परतों को भेदकर रक्तधारा में प्रवेश कर जाते हैं, जिससे गंभीर दीर्घकालिक रोगों का जोखिम बढ़ जाता है।
2. हृदय-वाहिनी तंत्र पर दुष्प्रभाव
प्रदूषण रक्तधारा में सूजन (Inflammation) उत्पन्न करता है। इससे धमनियों में अवरोध,रक्तचाप असंतुलन,,हृदयाघात का जोखिम,स्ट्रोक की संभावना बढ़ जाती है। यह सिध्द हो चुका है कि प्रदूषण के उच्च स्तर पर रहने वाले क्षेत्रों में हृदयजन्य मृत्यु की दर अधिक होती है।
3. तंत्रिका तंत्र पर प्रभाव
सूक्ष्म प्रदूषक खून से दिमाग के ऊतकों में पहुँचकर न्यूरॉनों को क्षतिग्रस्त करते हैं। सिरदर्द,स्मृति-क्षीणता,चिड़चिड़ापन,मानसिक थकावट,एकाग्रता में कमी। दीर्घकाल में अल्ज़ाइमर जैसी विकृतियों से भी संबद्धता पाई गई है।
4. प्रतिरक्षा प्रणाली का दुर्बल होना
प्रदूषण शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को क्षीण करता है। बार-बार संक्रमण,एलर्जी,श्वसन संबंधी वायरल बीमारियों का बढ़ना,इसका परिणाम यह होता है कि शरीर बाहरी रोगाणुओं के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाता है।
5. त्वचा एवं नेत्रों पर दुष्प्रभाव
त्वचा का रूखापन,झुर्रियाँ,एलर्जिक रैशेज़,आँखों में जलन, लालिमा और सूखापन
इनसे सौंदर्य और आत्मविश्वास दोनों प्रभावित होते हैं।
वायु प्रदूषण से उत्पन्न रोगों का योग द्वारा निराकरण
योग शरीर के शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक तीनों आयामों पर कार्य करता है। इसकी प्राणायाम-प्रधान पद्धति श्वसन मार्गों को शुध्द कर शरीर में प्राण-शक्ति का संचार करती है। नीचे योग के वे प्रमुख रूप प्रस्तुत हैं जो प्रदूषणजन्य रोगों को दूर करने में अत्यंत कारगर सिध्द होते हैं।
प्राणायाम—श्वास का शुध्दिकरण विज्ञान
प्राणायाम वायु प्रदूषण के दुष्प्रभावों को दूर करने की सर्वाधिक प्रभावी पध्दति है। इससे फेफड़ों की क्षमता बढ़ती है, रक्त में ऑक्सीजन की प्रचुरता आती है और श्वसन नलिकाएँ स्वच्छ होती हैं।
अनुलोम–विलोम
यह नाड़ी-शोधन प्राणायाम है, जो शरीर की सूक्ष्म नाड़ियों को शुध्द करता है।
इस योग से श्वसन नलिकाएँ स्वच्छ,तनाव में कमी,फेफड़ों में प्राण-ऊर्जा का संचार,प्रदूषक कणों का निष्कासन।
कपालभाति
यह प्रकृतिक शुध्दिकरण क्रिया है। फेफड़ों से दूषित कण बाहर,श्वासनली में संचित बलगम हटे, मस्तिष्क में ताज़गी,प्रदूषणजन्य एलर्जी में कमी।
भ्रामरी प्राणायाम
मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र को शांत करता है। तनाव घटे, साँस की गति नियंत्रित,दमा में राहत।
उज्जयी प्राणायाम
गले, श्वासनली और फेफड़ों की आंतरिक सफाई करता है।
गले में जमा प्रदूषक हटते हैं, फेफड़ों की क्षमता में वृध्दि
योगासन — फेफड़ों की क्षमता बढ़ाने वाले आसन
भुजंगासन
छाती को फैलाकर फेफड़ों में अधिक प्राणवायु पहुँचाता है।
धनुरासन
छाती, पेट और फेफड़ों में एकसमान खिंचाव उत्पन्न करता है।
त्रिकोणासन
शरीर में रक्त-संचार सुधारता है।
ताड़ासन
फेफड़ों को अधिक फैलने की क्षमता देता है।
पश्चिमोत्तानासन
मानसिक तनाव घटाता है, जिससे श्वसन क्रिया में समन्वय आता है।
आयुर्वेदिक आहार एवं जीवनशैली
योग के साथ आयुर्वेदिक आहार की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।
• तुलसी, अदरक, काली मिर्च
• हल्दी
• गुड़
• नींबू
• घी
ये तत्व शरीर की शुध्दि में अद्भुत सहयोग करते हैं।
गुनगुने जल का सेवन, सूर्य-उदयानंद दर्शन, तथा प्रदूषण वाली सड़कें टालना—ये सभी जीवनशैली परिवर्तन भी आवश्यक हैं।
योग का वैज्ञानिक आधार
आधुनिक शोधों से सिध्द हुआ है कि योग—
• रक्त में ऑक्सीजन को 20–30% तक बढ़ा देता है
• फेफड़ों की वायु-क्षमता (Lung Capacity) बढ़ाकर PM2.5 के प्रभाव को कम करता है
• तंत्रिका तंत्र की रिकवरी क्षमता सुधारता है
• सूजन (Inflammation) कम करता है
अतः योग वायु प्रदूषण के दुष्प्रभावों के विरुध्द एक प्राकृतिक कवच है।
By:-NITI SINGH
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